हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मुद्दे पर संसद में नेताओं ने घंटों बहस की। निर्भया मामले के 7 साल बीत जाने के बाद भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त कानून की कमी बताई और कहा कि सब साथ आएं तो और कठोर कानून बनाने को तैयार हैं। लेकिन इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के वक्त सबका रुख एक जैसा था। पार्टियों ने 88 ऐसे उम्मीदवार उतारे, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुकदमे चल रहे थे। भाजपा इसमें भी अव्वल रही। उसने ऐसे 15 उम्मीदवारों को टिकट दिया, इनमें से 10 जीतकर संसद में ही बैठे हैं। दूसरे पायदान पर कांग्रेस थी, जिसने 9 ऐसे नेताओं को टिकट दिया, उनमें से 5 जीत गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी 88 उम्मीदवारों में से 19 अभी लोकसभा में हैं। इनमें से तीन पर दुष्कर्म के आरोप हैं। 38 निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी ऐसे मामले थे, लेकिन सब के सब चुनाव हार गए। ये आंकड़े 7928 उम्मीदवारों के शपथपत्रों के आधार पर तैयार हुई एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक हैं।
पिछले पांच सालों में 29 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव हुए। कुल 40,690 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 443 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले थे। ऐसे सबसे ज्यादा 49 उम्मीदवार भाजपा के थे। कांग्रेस के ऐसे 41 प्रत्याशी थे। इन 443 उम्मीदवारों में से 63 विधायक बने। इनमें भाजपा के 13 और कांग्रेस के 14 विधायक हैं।