यूपी पुलिस का 75 साल तक साथ देने वाली थ्री नॉट थ्री रायफल (303 रायफल) की 26 जनवरी को परेड के बाद विदाई हो गई। उत्तर प्रदेश में रायफल से 26 जनवरी को अंतिम बार फायर किया गया। इस राइफल का इस्तेमाल सबसे पहले 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किया गया था। 1945 में पहली बार थ्री नॉट थ्री रायफल यूपी पुलिस को मिली थी।
इस रायफल को 1955 में अप्रचलित घोषित कर दिया गया था, लेकिन यूपी पुलिस अब तक इसका इस्तेमाल करती रही। पुलिस कर्मियों का मानना है कि जिस जवान के हाथ में लोडेड थ्री नॉट थ्री रायफल रही, वह मोर्चे पर कभी मौत से नहीं डरा।
86 हजार नई रायफल पुलिस को दीं
शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया, ‘‘इतिहास बनने से पहले इन रायफल का इस्तेमाल प्रशिक्षण आदि में किया जाएगा। ये रायफल बहुत पहले ही चलन से बाहर हो गई हैं। पुलिस जवानों को इन रायफल की जगह आधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएंगे। यूपी सरकार पहले से ही जवानों को 63000 इन्सास ( इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) और 23000 एसएलआर ( सेल्फ लोडिंग रायफल) दे चुकी है। यह बदलाव पुलिस की जरूरतों और महिला सुरक्षा के साथ लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए जरूरी था। ’’
एसएलआर के मुकाबले इस्तेमाल के लायक नहीं हैं
इंस्पेक्टर जनरल कम प्रिंसिपल ऑफ आर्म्ड ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर से 1972 बैच के रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी ने बताया, ‘‘हमारे समय में ज्यादातर थ्री नॉट थ्री का ही इस्तेमाल होता था। ये एसएलआर के मुकाबले भारी और इस्तेमाल के लायक नहीं हैं। मैंने आखिरी बार इनका इस्तेमाल प्रशिक्षण के दौरान सीतापुर सेंटर में ही किया था।’’
2016 तक 1.22 लाख में 58,853 राइफल थ्री नॉट थ्री थीं
थ्री नॉट थ्री को 1995 में चलन से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद भी करीब 20 साल तक यूपी पुलिस के 48% पुलिस जवानों ने इसका इस्तेमाल किया। 31 मार्च 2016 को कैग की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। रिपोर्ट का शीर्षक परफार्मेंस ऑडिट ऑफ मॉर्डनाइजेशन एंड स्ट्रेंथिंग ऑफ पुलिस फोर्स था। 2016 तक पुलिस के पास करीब 1.22 लाख राइफल थीं। इनमें 58,853 राइफल थ्री नॉट थ्री थीं।